सोमवार का दिन भगवान् शिव का दिन माना गया है, हिन्दू संस्कृति के अंतर्गत। सोमवार के दिन शिवजी के लिए रखा गया व्रत काफी फलदायी माना जाता है। सोलह सोमवार, सावन के सोमवार, इत्यादि कई रूपों में शिवजी के सोमवार के व्रत रखे जाते हैं। ना सिर्फ लड़कियां बल्कि लड़के भी सोमवार व्रत में काफी रूचि रखते हैं। लेकिन क्यों? क्या फायदा होता है, सोमवार के व्रत रखने से? किस तरह के फल की इच्छा की जानी चाहिए इस व्रत से? आइये जानिये विख्यात ज्योतिष के माहिर, डॉ. विनय बजरंगी से।
कैसे करें सोमवार का व्रत
सोमवार का व्रत हर व्रत की तरह स्वयं को आंतरिक एवं शारीरिक रूप से स्वच्छ करके ही शुरू किया जाना चाहिए। इसलिए सबसे पहले ये सुनिश्चित करें की आप प्रातः जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ हो जाएं। इस बाद, शिवजी की पूजा करना भी इस व्रत का एक आवश्यक नियम है। तो कोशिश करें के आप मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अवश्य चढ़ाएं। शिवलिंग स्नान के लिए यदि आप कच्ची लस्सी का इस्तेमाल करें तो वो बहुत अच्छा होगा। अपने पूरे मन से भगवान की आराधना करें और इस दौरान माँगा गया वर यदि बिना किसी बुरी सोच से संलग्न हो तो ज़रूर पूरा होता है।
सोमवार के व्रत की पूजा तब तक अपूर्ण होती है जब तक आप कथा ना सुन लें या पढ़ लें। इस लिए मंदिर में ही बैठ कर भगवान शिव की सोमवार की कथा धैर्य के साथ पढ़ें। कहा जाता है की सोमवार के व्रत की कथा पढ़ने से इंसान जीवन के सभी सुखों को हासिल कर सकता है। इसके अतिरिक्त, इस व्रत में इतनी शक्ति है की कुंडली का भारी से भारी योग भी कमज़ोर कर सकता है।
क्यों जुड़ा है सोमवार का दिन भगवान शिव से?
जैसा की ऊपर बताया गया है की सोमवार कर दिन भगवान शिव का दिन माना गया है। और सोमवार के दिन रखे गए व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखे जाते हैं। ये व्रत सोमेश्वर व्रत के रूप में भी विख्यात हैं। सोमेश्वर का अर्थ है सोम के ईश्वर जो की शिव हैं और सोम चन्द्रमा को कहा गया है। इसलिए सोमेश्वर व्रत अर्थात शिव के लिए रखे गए व्रत।
एक प्रसिद्ध हिन्दू कथा के मुताबिक, चन्द्रमा ने सोमवार के दिन ही पूजा एवं आराधना करके भगवान शिव से वरदान में स्वयं को क्षय रोग से मुक्त कराया था। उसी समय से संसार में सोमवार के दिन को भगवान शिव की पूजा के दिन के रूप में समर्पित कर दिया गया। जैसे भगवान शिव ने चंदमा को मनवांछित फल दिए, उसी तरह हर एक इंसान जो साफ़ मन से इस दिन भगवान शिव की आराधना करता है, अपना मन चाहा वर हासिल करता है।
इसके अतिरिक्त, बाकि सभी व्रतों की अपेक्षा, सोमवार का व्रत काफी सहज माना जाता है क्योंकि भगवान शिव स्वयं बहुत ही सहज देव हैं। चंदमा की तरह माँ पार्वती ने भी इसी दिन 16 व्रत रख कर भगवान शिव को अपने पति के रूप में हासिल किया। माँ पार्वती ने फल के रूप में स्वयं शिव को माँगा और अपने सहज भाव के कारण भगवान ने स्वयं को माँ पार्वती को समर्पित कर दिया। तब से इस व्रत का काफी अधिक प्रचलन हो गया और ये माना जाता है की जो भी कुआंरी लड़की 16 सोमवार के व्रत करती है वह अपना इच्छित वर पाती है।
कैसे करें सोमवार के व्रत – जानें सही व्रत विधि डॉ. विनय बजरंगी से
हर व्रत की तरह सोमवार व्रत भी सुबह सूर्योदय से शुरू होता है जिसका अर्थ है की आपको सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान करके साफ़ वस्त्रों का धारण करना चाहिए। स्नानीत्यादी के बाद, शिवजी के मंदिर अवश्य जाएं और वहां शिवलिंग पे दूध अथवा कच्ची लस्सी चढ़ाएं। पूरे मन से शांत भाव से भगवान शिव और माँ पार्वती की उपासना करें और आरती करें। ये व्रत सूर्यास्त तक चलता है।
आहार में फल तथा दूध का सेवन उचित माना जाता है। हालांकि इस व्रत में पारण अथवा फलाहार का कोई अहम् नियम नहीं है। इसका अर्थ है की सूर्यास्त के बाद अथवा तीसरे पहर उपरांत आप भोजन का सेवन कर सकते है। इस भोजन में आप नमक को वर्जित करें। इसके साथ साथ आप तामसिक भोजन को भी बिलकुल न खाएं। मीठा अथवा सात्विक भोजन आप सूर्यास्त के बाद कर सकती हैं।
क्या आप जानते हैं की सोमवार के व्रत के 3 प्रकार भी हैं?
जी हाँ! सोमवार के व्रत को 3 प्रकारों में विभाजित किआ गया है। जिसके अंतर्गत सौम्य प्रदोष, सोलह सोमवार और हर सावन सोमवार आते हैं। व्रत रखने का तरीका तीनों व्रतों का एक जैसा है। जैसा की पहले बताया गया है उसी तरीके से सोमवार का हर तरह का व्रत आप रख सकते हैं।
मंदिर में भगवान शिव की पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक आप सोमवार व्रत कथा न पढ़ लें या सुन लें। इसलिए कथा की भूमिका को बिलकुल न भूलें। बेहतरीन फल की जल्दी उपलब्धि के लिए व्रत/Vrat के दौरान भगवान शिव का नाम सारा दिन अपने मन में लें क्योंकि जितना आप स्वयं को शिव में लग्न करेंगे उतना ही अच्छा फल पाएंगे।
ये व्रत कोई भी रख सकता है। किसी भी जाती, किसी भी धर्म, किसी भी उम्र का व्यक्ति सोमवार का व्रत रख सकता है और भगवान से अपनी इच्छित फल की कामना कर सकता है। इतना याद रखें की अगर आप शादीशुदा हैं और सोमवार का व्रत रखते हैं तो व्रत वाले दिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।